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दुर्गा चालीसा लिखित पाठ हिंदी में
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे||1||
तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥2॥
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥3॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥4॥
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुँलोक में डंका बाजत।।5।।
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन र जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥6॥
अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नरनारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई॥7॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥8॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें।
मोह मदादिक सब बिनशावें॥9॥
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला॥
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥10॥
देवीदास शरण निज जानी।
कहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
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दोस्तों यह बात तो मैं पुरे दावे के साथ कह सकता हूँ की आप सभी माँ दुर्गा के नाम से तो परिचित ही होंगे। दोस्तों दुर्गा चालीसा का पाठ दुर्गा माता को प्रसन करने के लिए किया जाता है। दोस्तों मैं जानता हूँ की आप में से बहुत से लोग माँ दुर्गा चालीसा को किसी कारणवस भूल चुके है।
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दोस्तों आप सभी की समस्या को दूर करने के लिए मैं आज आप सभी के लिए दुर्गा चालीसा लिखित पाठ हिंदी में लेकर आया हूँ। दोस्तों इस article के माध्यम से हम आपको इसके lyrics के साथ साथ
इससे होने वाले लाभों के बारे में भी बताएंगे जिससे आप इस चालीसा का नित्य पाठ करने के लिए प्रेरित हो सके। दोस्तों मैं आप सभी से निवेदन करना चाहूंगा कि अगर आपको हमारा यह article आज सचमुच पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों के साथ अवश्य शेयर करें दोस्तों अगर आप ऐसा ही content पढ़ना चाहते हैं तो आप हमारे इस ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें
श्री दुर्गा चालीसा के पाठ से होने वाले अद्भुत लाभ
- दोस्तों ऐसे तो माँ पार्वती के चालीसा के पाठ करने से अनेको फायदों होते है परन्तु आज के इस article के जरिये हम आपको इसके पाठ से होने वाले महत्वपूर्ण फायदों के बारे में बताएंगे।
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- दोस्तों अगर आपको हमेशा कोई न कोई चिंता सताती रहती है तो आपको Durga Chalisa का पाठ करना शुरू कर देना चाहिए क्योंकि इसके नियमित पाठ करने से मन शांत हो जाता है।
- दोस्तों माँ आपको कठिन परिस्थतियों से लड़ने का शक्ति प्रदान करती है।
- दोस्तों अगर आप माँ दुर्गा को खुश करना चाहते है तो आप इस चालीसा का नित्य पाठ करे।
दुर्गा माता चालीसा का महत्व
दोस्तों माँ दुर्गा के चालीसा का पाठ करना बहुत ही महत्वपूर्ण है क्युकी इसके पाठ से मनुष्य के सरे कष्ट दूर हो जाते है। दोस्तों जिन किसी भी चीज़ की चिंता सताती रहती यह उन्हें हमेशा किसी न किसी चीज़ का भय लगा रहता है उन्हें तो इसका पाठ अवस्य ही करना चाहिए क्युकी इसके पाठ से ही मनुष्य की सारी कठिनाई दूर हो जाती है। दोस्तों आप सभी इस चालीसा का पाठ कर सके इसलिए हमने दुर्गा चालीसा लिखित पाठ हिंदी में आर्टिकल आप सभी के लिए उपलब्ध कराया है।
यह दुर्गा चालीसा लिखित पाठ हिंदी में जो article हमने लिखा है वह विद्यार्थियों के लिए भी बहुत लाभकारी हैं। दोस्तों विद्यार्थियों को भी इस चालीसा का पाठ करना चाहिए क्युकी मैंने देखा है की बहुत से विद्यार्थी अपने पढाई पर concentrate नहीं कर पाते। इसके पाठ से मन की एकाग्रता शक्ति का विकास होता है। दोस्तों एक विद्यार्थी के जीवन में ही एकाग्रता शक्ति को बढ़ाना चाहिए क्युकी इसी समय दिमाग का सबसे तेज विकास होता है। दोस्तों एकाग्रता शक्ति बढ़ाने के लिए आप योग का भी सहारा ले सकते है।
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2 σχόλια
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