दोस्तों अगर आपका पढाई में अच्छे से मन नहीं लग पता है या आप एकाग्र नहीं रह पाते तो आपको saraswati chalisa का पाठ अवस्य करना चाहिए। दोस्तों मैं आप सभी से निवेदन करना चाहता हूँ की आप इस article को पूरा पढ़े। आप इसे अच्छे से पढ़े क्युकी इस article में हमने संपूर्ण सरस्वती चालीसा lyrics के साथ साथ उससे होने वाले लाभों के बारे में भी बताया है।
saraswati chalisa lyrics
॥दोहा॥
जनक जननि पद कमल रज, निज मस्तक पर धारि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
रामसागर के पाप को, मातु तुही अब हन्तु॥
॥चौपाई॥
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी। जय सर्वज्ञ अमर अविनासी॥
जय जय जय वीणाकर धारी। करती सदा सुहंस सवारी॥
रूप चतुर्भुजधारी माता। सकल विश्व अन्दर विख्याता॥
जग में पाप बुद्धि जब होती। जबहि धर्म की फीकी ज्योती॥
तबहि मातु ले निज अवतारा। पाप हीन करती महि तारा॥
बाल्मीकि जी थे हत्यारा। तव प्रसाद जानै संसारा॥
रामायण जो रचे बनाई। आदि कवी की पदवी पाई॥
कालिदास जो भये विख्याता। तेरी कृपा दृष्टि से माता॥
तुलसी सूर आदि विद्धाना। भये और जो ज्ञानी नाना॥
तिन्हहिं न और रहेउ अवलम्बा। केवल कृपा आपकी अम्बा॥
करहु कृपा सोइ मातु भवानी। दुखित दीन निज दासहि जानी॥
पुत्र करै अपराध बहूता। तेहि न धरइ चित सुन्दर माता॥
राखु लाज जननी अब मेरी। विनय करूं बहु भांति घनेरी॥
मैं अनाथ तेरी अवलंबा। कृपा करउ जय जय जगदंबा॥
मधु कैटभ जो अति बलवाना। बाहुयुद्ध विष्णू ते ठाना॥
समर हजार पांच में घोरा। फिर भी मुख उनसे नहिं मोरा॥
मातु सहाय भई तेहि काला। बुद्धि विपरीत करी खलहाला॥
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी। पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥
चंड मुण्ड जो थे विख्याता। छण महुं संहारेउ तेहि माता॥
रक्तबीज से समरथ पापी। सुर-मुनि हृदय धरा सब कांपी॥
काटेउ सिर जिम कदली खम्बा। बार बार बिनवउं जगदंबा॥
जग प्रसिद्ध जो शुंभ निशुंभा। छिन में बधे ताहि तू अम्बा॥
भरत-मातु बुधि फेरेउ जाई। रामचंद्र बनवास कराई॥
एहि विधि रावन वध तुम कीन्हा। सुर नर मुनि सब कहुं सुख दीन्हा॥
को समरथ तव यश गुन गाना। निगम अनादि अनंत बखाना॥
विष्णु रूद्र अज सकहिं न मारी। जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥
रक्त दन्तिका और शताक्षी। नाम अपार है दानव भक्षी॥
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा। दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥
दुर्ग आदि हरनी तू माता। कृपा करहु जब जब सुखदाता॥
नृप कोपित जो मारन चाहै। कानन में घेरे मृग नाहै॥
सागर मध्य पोत के भंगे। अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥
भूत प्रेत बाधा या दुःख में। हो दरिद्र अथवा संकट में॥
नाम जपे मंगल सब होई। संशय इसमें करइ न कोई॥
पुत्रहीन जो आतुर भाई। सबै छांड़ि पूजें एहि माई॥
करै पाठ नित यह चालीसा। होय पुत्र सुन्दर गुण ईसा॥
धूपादिक नैवेद्य चढावै। संकट रहित अवश्य हो जावै॥
भक्ति मातु की करै हमेशा। निकट न आवै ताहि कलेशा॥
बंदी पाठ करें शत बारा। बंदी पाश दूर हो सारा॥
करहु कृपा भवमुक्ति भवानी। मो कहं दास सदा निज जानी॥
॥दोहा॥
माता सूरज कान्ति तव, अंधकार मम रूप।
डूबन ते रक्षा करहु, परूं न मैं भव-कूप॥
बल बुद्धि विद्या देहुं मोहि, सुनहु सरस्वति मातु।
अधम रामसागरहिं तुम, आश्रय देउ पुनातु॥
सरस्वती चालीसा के नित्य पाठ से होने वाले लाभ
- पढाई में मन लगने लगता है।
- एकाग्रता बढ़ती है।
- सोचने-समझने की शक्ति बढ़ती है।
- संगीतकार के लिए भी माँ सरस्वती की आराधना करना आवश्यक है।
- व्यक्ति चिंता मुक्त हो जाता है
अगर आप चाहे तो आप माँ सरस्वती के 108 नाम भी पढ़ सकते है।
दोस्तों अगर आपको ऐसे ही पोस्ट पढ़ना पसंद है तो आप हमारे blog को subscribe कर सकते है। दोस्तों आप इस article अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ अवस्य share करे। दोस्तों अगर आप हमे कोई सुझाव देना चाहते है तो आप हमे comment कर के बता सकते है। दोस्तों आप सभी का घन्यवाद की आप ने इस post को पूरा पढ़ा। आपका दिन शुभ हो !
इन्हे भी अवस्य पढ़े -
हनुमान चालीसा
शिव चालीसा
राम जी की आरती
गणेश चालीसा
गणेश वंदना
2 σχόλια
Click here for σχόλια[…] है तो माँ सरस्वती के आरती के साथ साथ चालीसा और वंदना का भी पाठ कर सकते […]
ReplyDapoxetina Ricetta Tafenlatte cialis buy online usa opetty Menshealth Viagra
ReplyConversionConversion EmoticonEmoticon