दोस्तों सूर्य देव को खुश करने के लिए उनके चालीसा का पाठ करना बहुत जरुरी है ताकि वे हमेशा ऊर्जा प्रदान करते रहे और हमारी ज़िन्दगी अच्छे से बीतते रहे। दोस्तों अगर आप सूर्य चालीसा के बारे में नहीं जानते है तो आपको परेशान होने की कोई जरुरत नहीं है क्युकी इस article की मदद से हम आपको surya chalisa के साथ साथ इसे करने के लाभ के बारे में भी बताएंगे। दोस्तों सूर्य देव की आरती के साथ साथ चालीसा भी बहुत जरुरी है।
सूर्य देव चालीसा लिरिक्स इन हिंदी
दोहा -
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अड्ग ।
पद्मासन स्थित ध्याइये, शंख चक्र के सड्ग ॥
चौपाई -
जय सविता जय जयति दिवाकर । सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर ॥
भानु पतंग मरीची भास्कर सविता । हंस सुनूर विभाकर ॥
विवस्वान आदित्य विकर्तन । मार्तण्ड हरिरूप विरोचन ॥
अम्बरमणि खग रवि कहलाते । वेद हिरण्यगर्भ कह गाते ॥
सहस्त्रांशुप्रद्योतन कहि कहि । मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि ॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर । हाँकत हय साता चढ़ि रथ पर ॥
मंडल की महिमा अति न्यारी । तेज रूप केरी बलिहारी ॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते । देखि पुरंदर लज्जित होते ॥
मित्र मरीचि भानु । अरुण भास्कर सविता ॥
सूर्य अर्क खग । कलिकर पूषा रवि ॥
आदित्य नाम लै । हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै ॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं । मस्तक बारह बार नवावै ॥
चार पदारथ सो जन पावै । दुःख दारिद्र अध पुञ्ज नसावै ॥
नमस्कार को चमत्कार यह । विधि हरिहर कौ कृपासार यह ॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई । अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई ॥
बारह नाम उच्चारन करते । सहस जनम के पातक टरते ॥
उपाख्यान जो करते तवजन । रिपु सों जमलहते सोतेहि छन ॥
छन सुत जुत परिवार बढतु है । प्रबलमोह को फँद कटतु है ॥
अर्क शीश को रक्षा करते । रवि ललाट पर नित्य बिहरते ॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत । कर्ण देस पर दिनकर छाजत ॥
भानु नासिका वास रहु नित । भास्कर करत सदा मुख कौ हित ॥
ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे । रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे ॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा । तिग्मतेजसः कांधे लोभा ॥
पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर । त्वष्टा वरुण रहम सुउष्णाकर ॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन । भानुमान उरसर्म सुउदरचन ॥
बसत नाभि आदित्य मनोहर । कटि मंह हँस रहत मन मुदभर ॥
जंघा गोपति सविता बासा । गुप्त दिवाकर करत हुलासा ॥
विवस्वान पद की रखवारी । बाहर बसते नित तम हारी ॥
सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै । रक्षा कवच विचित्र विचारे ॥
अस जोजन अपने मन माहीं । भय जग बीज करहुँ तेहि नाहीं ॥
दरिद्र कुष्ट तेहिं कबहुँ न व्यापै । जोजन याको मनमहं जापै ॥
अंधकार जग का जो हरता । नव प्रकाश से आनन्द भरता ॥
ग्रह गन ग्रिस न मिटावत जाही । कोटि बार मैं प्रनवौं ताही ॥
मन्द सदृश सुतजग में जाके । धर्मराज सम अद्भुत बाँके ॥
धन्य धन्य तुम दिनमनि देवा । किया करत सुरमुनि नर सेवा ॥
भक्ति भावतुत पूर्ण नियमसों । दूर हटतसो भवके भ्रमसों ॥
परम माघ महं सूर्य फाल्गुन । मध वेदांगनाम रवि गावै ॥
भानु उदय वैसाख गिनावै । ज्येष्ट इन्द्र आषाढ़ रवि गावै ॥
यह भादों आश्विन हिमरेता । कातिक होत दिवाकर नेता ॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं । पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं ॥
दोहा -
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहि जे नर नित्य ।
सुख साम्पत्ति लहै विविध, होंहि सदा कृतकृत्य ॥
Surya Chalisa के पाठ करने के फायदे
दोस्तों वैसे तो सूर्य चालीसा के पाठ करने के अनगिनत फायदे है। परन्तु इस article की सहायता से मैं आपको इसके पाठ से होने वाले सबसे अच्छे लाभ बताऊंगा ताकि आप भी इसका पाठ करने के लिए प्रेरित हो और दूसरों को भी प्रेरित करे। इससे होने वाले लाभ कुछ इस प्रकार है -
- सूर्य देवता हमेशा आपसे खुश रहते है
- सूर्य देव हमेशा आपकी रक्षा करते है
- वे हमेशा हम सभी को ऊर्जा प्रदान करते है
- वे हमे शत्रुओं से लड़ने की शक्ति प्रदान करते है
- डर की अनुभूति नहीं होने देते है
- हर परिस्तिथि में आपकी और आपके पुरे परिवार की रक्षा करते है।
दोस्तों मुझे पुरी उम्मीद है की आप सभी को हमारा यह article जो की Surya Chalisa के ऊपर लिखा गया है पसंद आया होगा। अगर आपको वाकई हमारा यह post पसंद आया तो इसे अपने दोस्तों के साथ अवस्य share करे।
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